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अनुभा मुंजारे की ‘क्रांति’ से डरी भाजपा, मौसम की जगह गौरीशंकर ​ने संभाला मैदान

Mausam Harinkhede, Gaurishankar Bisen, Anubha Munjare

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में बालाघाट का रण रोचक हो गया है। कांग्रेस द्वारा महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारने की रणनीति के तहत भाजपा ने भी महिला को टिकट दिया, लेकिन पार्टी ने ‘घबराहट’ में अंतिम पलों में प्रत्याशी बदल दिया। भाजपा को आखिर बैकफुट पर क्यों आना पड़ा? क्या है इसके पीछे की कहानी। हम आपको बताएंगे।
महाकौशल संभाग की बालाघाट सीट बेहद महत्वपूर्ण है। इस संभाग से भाजपा सरकार में एकमात्र मंत्री गौरीशंकर बिसेन हैं, पूर्व में दो बार मंत्री रह चुके बिसेन हो चुनाव से ऐन डेढ़ महीने पहले ही मंत्री बनाया गया है। वे ही इस बालाघाट सीट से प्रतिनिधित्व करते हैं। बालाघाट में 36 साल से विधायक, 2 बार के सांसद, दो बार के मंत्री गौरीशंकर बिसेन का टिकट भाजपा इस बार काटने जा रही थी। लेकिन उन्होंने दबाव के चलते अपनी बेटी मौसम हरिनखेड़े को टिकट दिलवा दी। 26 अक्टूबर को एक नाटकीय मोड़ के चलते खुद गौरीशंकर बिसेन ने नामांकन दाखिल कर दिया। तब उन्होंने बताया कि बेटी मौसम बीमार है, वो बाद में फॉर्म जमा कर देगी। लेकिन नामांकन के अंतिम पलों में 30 अक्टूबर को गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी मौसम के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंचे, जहां पर खुद गौरीशंकर ने एबी फॉर्म जमा ​किया, वहीं दूसरा फॉर्म मौसम हरिनखेड़े ने जमा किया। इसके बाद से बालाघाट जिला भाजपा कार्यालय ने अधिकृत बयान में कहा कि गौरीशंकर बिसेन ही भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी होंगे। मौसम नामांकन वापिस ले सकती हैं।

सर्वे में निगेटिव रिपोर्ट
बताया जाता है कि बालाघाट सीट से गौरीशंकर बिसेन का टिकट काटा जा रहा था, लेकिन उन्होंने खुद अपनी बेटी मौसम को आगे कर दिया। भाजपा ने दबाव में टिकट भी दे दिया, लेकिन सर्वे में मौसम की हार सामने आई। भाजपा को गुमराह करके खुद गौरीशंकर ने फॉर्म जमा कर दिया। हड़बड़ाहट में भाजपा को यहां टिकट बदलने का मौका ही नहीं मिला। ऐसे में गौरीशंकर बिसेन को ही मैदान में उतारने पर सहमति बनानी पड़ी।

भाजपा में है हड़बड़ाहट : अनुभा मुंजारे
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे मौसम हरिनखेड़े का बीमार होना बताया जा रहा है, लेकिन कांग्रेस इस मामले में एक अलग थ्योरी प्रस्तुत कर रही है। बालाघाट से कांग्रेस प्रत्याशी अनुभा मुंजारे ने बताया कि 26 अक्टूबर के पहले तक मौसम हरिनखेड़े मैदान में खूब सक्रिय थीं। वे कहीं से भी ‘बीमार’ नहीं दिखीं। अनुभा आगे कहती हैं कि बालाघाट में मौसम के पिता गौरीशंकर बिसेन 36 साल से विधायक हैं। मंत्री रहे हैं। वे 2 बार सांसद भी रहे हैं। लेकिन बालाघाट में उन्होंने कोई ऐसा काम नहीं किया कि बेटी मौसम हरिनखेड़े को चुनाव जितवा सकें। इस बार जबकि चुनाव में क्रांतिकारी मंच और कांग्रेस साथ आ गई है। अनुभा कहती हैं कि मैं रोज 10—12 गांवों में प्रचार कर रही हूं, लोगों से मिल रही हूं, जमीनी स्तर पर भाजपा की हालत ठीक नहीं है।

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