भोपाल। विधानसभा निर्वाचन 2023 के लिए मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को हुए मतदान की मतगणना 3 दिसंबर को होगी। प्रदेश के 55 में से 52 जिला मुख्यालयों में मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हो जाएगी। मुख्य चुनाव पदाधिकारी अनुपम राजन के अनुसार 52 जिला मुख्यालय में काउंटिंग की व्यवस्था की गई है। 3 दिसंबर को जिला मुख्यालयों में बनाए गए स्ट्रांग रूम से सारे मत पत्र और मशीन बाहर निकाले जाएंगे। सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती होगी। इसके बाद ईवीएम के वोटों की काउंटिंग शुरू होगी। मध्य प्रदेश में यूं तो देर रात तक मतगणना चलने का अनुमान है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां दोपहर बाद तक हार—जीत तय हो जाएगी। पहला परिणाम इंदौर—3 विधानसभा सीट से आ सकता है। दोपहर ढाई बजे तक यहां हार जीत तय हो जाएगी। प्रदेश की 230 में से ऐसी कई सीटें हैं जहां पर मतदान बूथ अन्य की तुलना में कम थे।
ऐसे तय होता है समय
जिस विधानसभा में जितने कम बूथ होंगे, वहां सबसे कम समय में मतगणना होती है। भोपाल जिले की विधानसभा सीटों की बात करें तो सबसे पहले भोपाल मध्य के नतीजे आ सकते हैं। उसके बाद उत्तर, दक्षिण और पश्चिम के नतीजे आने का अनुमान है।
ऐसे होती है मतगणना
आपको बता दें कि कई मतदान केंद्रों पर न्यूनतम 10 राउंड में वोटों की गिनती होगी तो कई जगहों पर अधिकतम 32 राउंड में काउंटिंग होने का अनुमान है। जहां जितने ज्यादा राउंड होंगे, वहां उतना ही अधिक समय लगेगा।
2018 में 24 घंटे लगे थे
आपको बता दें कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना 11 दिसंबर को 8 बजे से शुरू हुई थी। चुनाव आयोग ने पूरे 24 घंटे बाद 12 दिसंबर सुबह करीब सवा 8 बजे चुनाव परिणामों का ऐलान किया था। मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि काउंटिंग में इतना समय लगा हो। पिछली बार औसतन करीब 22 राउंड में चुनावी प्रक्रिया पूरी हुई हुई थी। अधिकतम 32 राउंड मतगणना इदौर-5 विधानसभा क्षेत्र में हुई, जबकि न्यूनतम 15 राउंड मतगणना अनूपपुर जिले की कोतमा विधानसभा सीट में हुई थी। निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि इस बार होने वाली मतणना में भी करीब इतना ही समय लगने की आशंका है।
इसलिए होती है देरी
पिछले चुनाव में कई सीटों पर जीत का फ़ासला इतना कम था कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने फिर से गिनती की मांग कर दी थी, ऐसे में दोगुना समय लग जाता है। यह संभावना इस बार भी दिख रही है।
वीवीपैट मशीन कराती हैं देरी
वर्ष 2018 में पहली बार वीवीपैट मशीनों का उपयोग हुआ था। इस बार भी इन मशीनों का उपयोग हुआ है। मतगणना के दौरान ऐसा कई जगहों पर होता है कि उम्मीदवार अपने संदेह को दूर करने के लिए मशीनों से वोटों की गणना के बाद वीवीपैट मशीनों की पर्ची भी गिनवाते हैं। इससे रिजल्ट आने में काफी देरी हो सकती है।