मुख्य सचिव ही नहीं, मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव हैं वीरा राणा
- कैसे बनते हैं मुख्य सचिव, कई सालों बाद वरिष्ठता को मिल रहा सम्मान
- मध्य प्रदेश में अब तक 6 अधिकारियों को मिला बहुत लंबा कार्यकाल
- भाजपा के करीब 18 साल के कार्यकाल में 3 अधिकारियों पर बरसी विशेष कृपा।
IAS Veera Rana CS MP Govt
भोपाल। मप्र में 3 दिसंबर को नई सरकार सामने आए इससे 3 दिन पहले ही 30 नवंबर को एक और बदलाव हो गया। प्रदेश को वीरा राणा के रूप में नया मुख्य सचिव (Chief Secretary) मिला है। इससे पहले वे अतिरिक्त मुख्य सचिव थीं। वीरा की पदस्थापना कई मायने में अलग है। चुनाव की आचार संहिता के चलते मुख्य सचिव (CS) की नियुक्ति निर्वाचन आयोग ने किया। आचार संहिता न होने पर सरकार की चलती है और आमतौर पर सरकार अपनी पसंद के अधिकारी को ही सीएस बनाती है। यह नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर हुई है। प्रदेश में पदस्थ आईएएस में वीरा राणा ही सीनियर हैं। एक बड़ा संयोग हुआ है। मध्य प्रदेश के गठन के बाद से कई वर्ष बीतने के बाद ऐसा हुआ है कि महिला को प्रमुख सचिव बनी हैं। वीरा के पहले स्व. निर्मला बुच सीएस रह चुकी हैं। बुच के पहले और बाद में कभी भी महिला अधिकारी पर सरकार ने विश्वास नहीं जताया था। वीरा मार्च 2024 में रिटायर्ड हो जाएंगी।
इकबाल को ऐसे दी विदाई
1985 बैच के इकबाल सिंह बैंस को 24 मार्च 2020 को प्रदेश का 33वां मुख्य सचिव बनाया गया था। मुख्य सचिव पद से विदाई देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 नवंबर को कैबिनेट बैठक बुलाई। आचार संहिता की वजह से बैठक में कोई फैसले नहीं लिए गए। उपस्थित अधिकांश मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने इकबाल को विदाई दी।
इकबाल सिंह बैंस रहे भाजपा के बुलंद अफसर रहे
इकबाल सिंह बैंस शांत लेकिन अनुशासन प्रिय अधिकारियों में शुमार रहे। उनकी 40 वर्ष की सेवा के दौरान इकबाल का अधिकांश कार्यकाल सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ बीता। पहले वे सीएम के सचिव रहे, उसके बाद सीएम के प्रमुख सचिव। इस तरह वे साल 2020 में सीएम शिवराज ने उन्हें मुख्य सचिव बनाया।
शिवराज सरकार ने दो बार बढ़ाया कार्यकाल
इकबाल सिंह बैंस पर सीएम शिवराज को इतना भरोसा था कि एक साल पहले 30 नवंबर 2022 को इकबाल सेवानिवृत्त हो रहे थे तो सीएम शिवराज ने उनके कार्यकाल को 30 मई 2023 तक विस्तार दे दिया। 30 मई को फिर उन्हें 6 महीने का विस्तार दिया गया। यही कार्यकाल अब 30 नवंबर को खत्म हो गया। संयोग यह रहा कि प्रदेश में आचार संहिता लगी है। सरकार कुछ नहीं कर पाई।
इन अधिकारियों को मिला लंबा कार्यकाल
प्रदेश के गठन के बाद से सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्य सचिव में इकबाल सिंह बैंस 5वें नंबर पर हैं। दिलचस्प बात यह है कि सबसे लंबे कार्यकाल वाले 6 मुख्य सचिवों में से शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल के 3 अफसर शुमार हैं। जब से शिवराज सीएम बने, तब से राकेश शाहनी, एंटनी डिसा और इकबाल सिंह बैंस को 3—3 वर्ष से भी ज्यादा का कार्यकाल मिला।
दूसरी महिला सीएस हैं वीरा राणा
मप्र के गठन को भले 68 वर्ष हो गए हों, लेकिन इस दौरान किसी भी सरकार ने महिलाओं पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया गया। पहली बार निर्मला बुच को सीएस बनाया गया था। हाल ही में उनका निधन हुआ है। अब वीरा राणा सीएम बनने वाली दूसर महिला हैं।
सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएस
प्रदेश के गठन 1 नवंबर 1956 से लेकर अभी तक प्रदेश में 33 मुख्य सचिव बने हैं। 6 अफसर ऐसे रहे हैं, जिन्हें 3 साल या उससे अधिक समय तक मुख्य सचिव बनने का मौका मिला। इनमें पहले मुख्य सचिव एच एस कामथ, दूसरे सीएम आर पी नरोन्हा, 21वें सीएस के एस शर्मा, 26 वें राकेश साहनी, 29 वें एंटोनी डिसा और 33 वें इकबाल सिंह भैंस शामिल हैं।
इन अधिकारियों पर मेहरबान रहीं शिवराज सरकार
खास बात यह है कि इनमें से तीन मुख्य सचिव राकेश साहनी, एंटोनी डिशा और इकबाल सिंह बैंस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही काम किया है। यानि प्रदेश के गठन होने के बाद तीन मुख्य सचिव ऐसे हैं, जिनको शिवराज सरकार ने लंबा-लंबा कार्यकाल दिया।
इन सीएस सबसे लंबा कार्यकाल
एच एस कामथ 1 नवंबर 1956 से 24 नवंबर 1963 तक 7 साल तक सीएस रहे। आरपी नरोन्हा 25 नवंबर 1963 से अगस्त 1968 तक 5 साल 9 महीने सीएस रहे। के एस शर्मा 31 जनवरी 1997 से 31 जुलाई 2001 तक 4 साल 6 महीने के लिए मुख्य सचिव रहे। राकेश कुमार शाहनी 28 जनवरी 2006 से 31 जनवरी 2010 तक 4 साल के लिए सीएस बनाए गए। एंटनी डिसा 1 अक्टूबर 2013 से 31 अक्टूबर 2016 तक 3 वर्ष के लिए सीएस रहे। इकबाल सिंह बैंस 24 मार्च 2020 से 30 नवंबर 2023 तक 3 साल 8 महीने तक मुख्य सचिव के पद पर रहे।