समस्त महाविद्यालयों के पुस्तकालयों को भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े साहित्य से करेंगे समृद्ध : उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार
उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्रालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत गठित “भारतीय ज्ञान परम्परा शीर्ष समिति” की बैठक हुई। मंत्री श्री परमार ने विभिन्न बिंदुओं पर व्यापक विचार विमर्श कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। श्री परमार ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भों में विश्वविद्यालय स्तर एवं संभाग स्तर पर आयोजित कार्यशालाओं की अद्यतन जानकारी प्राप्त की। भारतीय ज्ञान परम्परा पर केंद्रित महत्वपूर्ण पठनीय पुस्तकों की सूची का अवलोकन कर भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े तथ्यपूर्ण साहित्य की उपलब्धता के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। श्री परमार ने विश्वविद्यालयों के साथ साथ महाविद्यालयों के पुस्तकालयों को भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े साहित्य से समृद्ध करने को कहा। विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए महाविद्यालय स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा समावेशी गतिविधियां आयोजित करने के भी निर्देश दिए।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के क्रियान्वयन में, भारतीय ज्ञान परम्परा का समावेश महत्वपूर्ण है और यह व्यापक एवं सतत् प्रक्रिया है। इसके लिए समग्र एवं सूक्ष्म विचार मंथन के साथ क्रियान्वयन की आवश्यकता है। श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के परिप्रेक्ष्य में पुस्तक लेखन में सूक्ष्मता के साथ तथ्यपूर्ण क्रियान्वयन की आवश्यकता है। श्री परमार ने कहा कि पुस्तक लेखन में लेखकों का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है, इसके लिए लेखकों में भारतीय दृष्टि की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक लेखन में भारतीय ज्ञान परम्परा का तथ्यपूर्ण समावेश किया जाए। श्री परमार ने कहा कि पुस्तकालयों में भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़ी पुस्तकों की हिंदी भाषा एवं लेखन की मूल भाषा में भी उपलब्धता सुनिश्चित करें। भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़ी पुस्तकों को पुस्तकालयों में रखने के पूर्व, विभिन्न लेखकों एवं प्रकाशन की पुस्तकों से जुड़े भ्रमजन्य विषयों के निदान के लिए सुझाव, संशोधन एवं आपत्ति निवारण नियत समयावधि पर करना सुनिश्चित करें। श्री परमार ने प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े साहित्य की सुलभ रूप से उपलब्धता के लिए “ई-लाइब्रेरी” विकसित किए जाने को लेकर व्यापक कार्ययोजना बनाने को कहा। श्री परमार ने कहा कि प्राध्यापकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के अनुसरण एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के भावानुरूप अध्यापन करने की आवश्यकता है। श्री परमार ने प्राध्यापकों के प्रतिवर्ष उन्मुखीकरण के लिए निर्धारित समयावधि की प्रशिक्षण नीति बनाने के लिए भी निर्देशित किया।
इस अवसर पर मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक श्री अशोक कड़ेल एवं म.प्र. शुल्क विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कान्हेरे सहित समिति के विभिन्न सदस्यगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरू एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।