क्या कैलाश विजयवर्गीय रेप के आरोपी हैं? कांग्रेस नामांकन रद्द कराने पहुंची
इंदौर। मध्य प्रदेश भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ती हुई दिखने लगी हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय अब दिक्कतों में घिरते दिखाई दे रहे हैं। चुनावी नामांकन दाखिल करने के दौरान बीजेपी प्रत्याशी कैलाश ने अपने ऊपर चल रहे दो प्रकरणों का उल्लेख नहीं किया है। कैलाश ने एक पश्चिम बंगाल में लगा रेप केस और दूसरा छत्तीसगढ़ में दर्ज हुए केस में फरारी का मामला छिपाया है। अब कांग्रेस उनको घेरने लगी है। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी रहे कैलाश विजयवर्गीय पर एक महिला ने दुष्कर्म, अमानत में खयानत सहित अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज करवाया था। कोर्ट के आदेश के बाद वहां के अलीपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मुकदमे के खिलाफ आरोपी विजयवर्गीय ने हाईकोर्ट में अपील की थी, मगर कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। इसके बाद कैलाश ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है। लेकिन शीर्ष कोर्ट ने भी निचली अदालत को फिर से आदेश पर विचार करने के निर्देश दे दिए हैं। मतलब केस अभी लंबित है। लेकिन अब अब इंदौर-1 सीट से विधानसभा उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय ने नामांकन दाखिल करने के दौरान शपथ पत्र में अपने ऊपर चल रहे सिर्फ 5 मामलों का तो उल्लेख किया है, लेकिन पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के मामलों की जानकारी नहीं दी गई। वहीं, इंदौर विधानसभा क्रमांक-1 से कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला के प्रस्तावक दीपू यादव, वकील रविंद्र सिंह छाबड़ा ने भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ छत्तीसगढ़ के दुर्ग से फरार मामले में आपत्ति दर्ज करवाई गई है। कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला की ओर से उनके अधिवक्ता ने कलेक्टर कार्यलय पहुंचकर चुनाव निर्वाचन आयोग में भाजपा के प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय का नामांकन फॉर्म निरस्त करने के लिए एक शिकायत दर्ज करवाई। कांग्रेस के पक्षधर अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने बताया कि इंदौर विधानसभा-1 के भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ने अपने नामांकन फार्म भरते समय अपने ऊपर बंगाल में दुष्कर्म का मामला दर्ज और दुर्ग में एक अन्य मामला दर्ज होने की जानकारी चुनाव निर्वाचन आयोग में फॉर्म में भरते समय नहीं दी है। दो मामलों को छिपाया गया. इस मामले में शिकायत निर्वाचन आयोग से की गई है। उन्होंने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन लगाई थी। इसमें उनको राहत नहीं दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में पुनः विचार के लिए कहा था। मतलब वह केस आज भी पेंडिंग है और कैलाश विजयवर्गीय को भी भली भांति जानकारी थी। उसके बावजूद कैलाश विजयवर्गीय ने अपने चुनावी शपथ पत्र में उस केस का जिक्र नहीं कियां इसके अलावा छत्तीसगढ़ दुर्ग मामले में कैलाश विजयवर्गीय को न्यायालय से फरार घोषित किया गया है। अधिवक्ता कहना है कि कई बार समन, वारंट, गिरफ्तारी वारंटी जारी किए होंगे, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय ने जमानत नहीं कराई। यदि उन्हें इस केस की जानकारी नहीं है तो हमने उन्हें जानकारी दे दी है। बताया जा रहा है कि क्या कैलाश विजयवर्गीय 17 नवंबर (मतदान की तारीख) के पहले दुर्ग न्यायालय के समक्ष पेश होंगे। अधिवक्ता ने कहा कि अपनी छवि को खराब होने से बचने के लिए कैलाश विजयवर्गीय ने इस तरह के मामले छिपाए हैं। शिकायत लिखित में चुनाव आयोग से की गई है। उम्मीद है कि न्याय जरूर मिलेगा।
उधर, रिटर्निंग ऑफिसर का कहना है कि मैं नॉमिनेशन को रिजेक्ट करने में सक्षम नहीं हूं, इसलिए आपको 125 के तहत अपील करनी पड़ेगी। अधिवक्ता ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की हम अपील करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे। वहीं, पश्चिम बंगाल के रेप मामले में भाजपा राष्ट्रीय महासचिव और प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, मैं कभी भी डर्टी पॉलिटिक्स नहीं करता हूं। मैं इन फालतू सवालों के जवाब नहीं दूंगा।