Loksaha Election 2024: अंतिम दो चरणों में भाजपा और सहयोगियों की भी असल परख, सात सीटें हैं खास
भाजपा को चुनाव के अंतिम दो चरणों में कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। उसके सहयोगी दलों के साख की भी परख होगी। खासकर उन 7 सीटों पर भाजपा गठबंधन की परीक्षा होगी, जिन पर 2019 में भाजपा को शिकस्त मिली थी। जबकि वह 8 सीटें भी शामिल हैं, जिन पर भाजपा उम्मीदवार बहुत कम अंतर से जीत पाए थे।धानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिला गोरखपुर के चलते चुनाव के अंतिम चरण की सीटें ज्यादा अहम हो जाती हैं। भाजपा के तीनों सहयोगी दल अपना दल (एस), सुभासपा और निषाद पार्टी के नेताओं का कार्यक्षेत्र इसी इलाके में है। उनके भी प्रत्याशी इन छठवें व सातवें चरण से जुड़ी सीटों पर ही चुनाव मैदान में उतरे हैं।
2019 के चुनाव परिणाम के आंकड़ों के मुताबिक छठवें व सातवें चरण की कुल 27 सीटों में से 15 सीटें ऐसी हैं, जिनमें से सात पर हार मिली थी और 8 सीटों पर बमुश्किल जीत मिली थी। हालांकि बाद में हुए उप चुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ सीट पर कब्जा कर लिया था। इसलिए इन सीटों को जीतना भाजपा के लिए जहां प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, वहीं इन सीटों पर विपक्ष को शिकस्त देना भाजपा के सामने बड़ी चुनौती भी है।
अनुप्रिया, राजभर व निषाद की भी परीक्षा
भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल खुद मिर्जापुर से सीट तो सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर भाजपा की हारी हुई घोसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद दोबारा संतकबीर नगर से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा इस चरण की कई सीटों पर इन तीनों सहयोगी नेताओं की बिरादरी प्रभावशाली मानी जाती है। इस लिहाज से भी दोनों चरणों में बेहतर प्रदर्शन भाजपा व सहयोगियों के लिए बड़ी चुनौती होगी।